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मालवांचल के प्रसिद्ध संत श्री श्री 1008श्री पूरणदासजी त्यागी महाराज हुए ब्रह्मलीन

मालवांचल के प्रसिद्ध संत श्री श्री 1008श्री पूरणदासजी त्यागी महाराज हुए ब्रह्मलीन(ताल --शिवशक्ति शर्मा )

  मालवांचल के प्रसिद्ध संत श्री श्री 1008 श्री पूरणदास जी त्यागी महाराज गुरुवार की देर रात ब्रह्मलीन हो गए। उन्होंने पिछले 40 वर्षों से निवास कर रहे ताल निकटस्थ ग्राम कोट कराड़िया स्थित अपने आश्रम में अंतिम सांस ली ।शुक्रवार सुबह जैसे ही उनके शिष्यों और अनुयायियों को उनके ब्रह्मलीन होने की खबर मिली वैसे ही उनके भीतर शोक की लहर दौड़ गई। शतायु से भी अधिक उम्र के हो चुके संत श्री पूरणदास जी त्यागी के मंडावल, ताजखेड़ा, कोट कराड़िया ,खारवा कला ,महिदपुर रोड , ताल ,आलोट एवं जावरा आदि स्थानों पर हजारों की संख्या में अनुयाई थे ।जन चर्चा के अनुसार वे लगभग 70 वर्ष पहले इस क्षेत्र में आए थे। सबसे पहले ताज खेड़ा उन्होंने निवास किया था। उसके कुछ दिन बाद में मंडावल भी रहे और बाद में कोट कराड़िया आ गए ।यहां उन्होंने एक हनुमान जी का मंदिर भी बनवाया जहां वे नित्य साधना करते थे। उनका सिंहस्थ में मंगलनाथ मंदिर पर कैंप लगता था जिसमें सिंहस्थ के दौरान अन्न क्षेत्र का संचालन होता था। जहां हजारों की संख्या में सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालु भोजन ग्रहण करते थे । उनके प्रभाव से क्षेत्र के हजारों लोगों ने मांसाहार और शराब के सेवन का त्याग किया था । वे सबसे पहले गुरु दीक्षा देते थे और फिर धीरे-धीरे अपने शिष्यों को सतमार्ग पर ले आते थे।उनका अंतिम संस्कार कोट कराड़िया स्थित आश्रम में ही किया गया। उनके हजारों शिष्यों की उपस्थिति में उनकी पार्थिव देह अग्नि को सौंप दी गई। कोट कराड़िया और आसपास के हजारों अनुयायियों ने अपने गुरु पूरणदास जी त्यागी की स्मृति में सर के बाल उतरवा कर उनको अपनी श्रद्धांजलि दी। उनके ब्रह्मलीन होने की खबर मिलने पर नारायण दास महाराज( नागदा) प्रकाश नाथ महाराज (भैंसाना) हर सुखराम जी महाराज (ताल) सहित बटबाड़िया एवं अन्य स्थानों से साधु संत कोट कराड़िया पहुंचे। संत श्री पूरणदास जी महाराज की पार्थिव देह को साधु संतों द्वारा स्नान करके डोल में बैठाया गया और फिर गांव में भ्रमण कराया गया जहां पूरे गांव में डोल पर पुष्प वर्षा की गई। डोल यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए ।गांव भ्रमण करने के बाद डोल वापस आश्रम पहुंची जहां उनका अग्नि संस्कार किया गया। अग्नि संस्कार के समय नारायण हरि एवं श्री राम जय राम जय जय राम का उद्घोष उपस्थित श्रद्धालु करते रहे। जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि संतोष पालीवाल एवं आश्रम से जुड़े सदस्यों ने अंतिम संस्कार की व्यवस्थाओं को संभाला।

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