(संवाददाता धनपाल सिंह भंडारी)
शेरपुर में श्री राम मंदिर पर जय शिव रामायण मंडल निबाहेड़ा जिला चित्तौड़गढ़ राजस्थान द्वारा चल रही राम के चरित्र का वर्णन में सनातन धर्म प्रचार के लक्ष्य को लेकर गांव गांव में भगवान राम के चरित्र का संगीतमय नाटक के माध्यम से राम के जीवन चरित्र को अपने जीवन में उतारे कथा के दौरान बताया कि रावण के तीनो भाई रावण, कुंभकरण ,विभीषण,ने तपस्या कर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करना रावण से प्रताड़ित होकर ऋषि मुनि से कर (टेक्स)के बदले खून लिया गया और श्राप दिया। की जहा भी ऋषि मुनि के खून का पात्र जिस जमीन में रखोगे उस भूमि पर अकाल पड़ेगा और उस भूमि से जो कन्या का जन्म होगा वही तेरे मृत्यु का कारण बनेगी यह आयोजन देर रात तक श्रोताओं को श्रवण करवाया। छटे दिवस के रामलीला प्रसंग में बताया कि मां शबरी ने भगवान के लिए आंगन सजाया और प्रभु श्री राम ने माता शबरी मैया के झूठे बेर खाए माता ने पूछा की में एक नीच जाति की हु प्रभु और आप राजवंसज राजा हो भले में आपकी क्या सेवा करूं प्रभु राम ने कहा की जाति से कोई छोटा या बड़ा नही होता सबसे बड़ा प्रेम होता है जो मेरी भक्ति करता है में उसका हो जाता हूं माता ने पूछा भक्ति कितने प्रकार की होती है भक्ति 9 प्रकार की होती हैं प्रथम भक्ति 1.संगत की भक्ति 2.कथा प्रसंग 3.गुरु की सेवा भक्ति 4. कथा में स्वार्थ नही होना चाहिए 5. वेद को पढ़ना चाहिए.6. व्यक्ति को केवल कर्म करना चाहिए 7. सारा संसार मुझेसे बडकर दिन दुखी को देखना चाहिए 8. पराई वास्तुवो पर ध्यान नहीं देना चाहिए 9. व्यक्ति को आसित्क भक्ति यह नो प्रकार की भक्ति में ही में समाया हुआ हूं। माता ने प्रभु को बताया की ऋष्यमूक पर्वत पर बाली का भाई सुग्रीव राज रहते हैं आप उनसे मित्रता करना वो आपकी मदद जरूर करेंगे प्रभु राम से बालाजी का मिलन और राम से सुग्रीव का मिलन के बाद राजा सुग्रीव ने सीता मैया की खोज के लिए अपने सैनिक को चारो दिशावो में भेजे। कथा के आयोजक शर्मा ने बताया कि गांव गांव जाकर हिंदू धर्म का प्रचार कर अपनी जीविका चलाते हैं जो दे उसका भी भला जो ना दे उसका भी भला।