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कल मनाया जायेगा झकनावदा नगर मे भगोरिया उसके पर्व अभी से तैयारियां हो गई है सुरु लगने लग गये है झूला चकरी ओर सजने लगी है मांदल।

कल मनाया जायेगा झकनावदा नगर मे भगोरिया उसके पर्व अभी से तैयारियां हो गई है सुरु लगने लग गये है झूला चकरी ओर सजने लगी है मांदल।

सुनाई देने लग गई है मान्दल की थाप जिसको सुनकर अलग हि आंनद आता है क्योकि इस धुन को किसी भी समाज मे सादी हो या कोई कार्यक्रम हो इस धुन पर सब थिरकते है। 

कल देखने को मिलेंगी नन्ने मुन्ने बच्चों के साथ बड़े ग्रामीण लोगो के चेहरे पे मुस्कान बड़ी बे सबरी से रहता है इस पल का सब को इंतजार। (झाबुआ से चंद्रशेखर राठौर। )झाबुआ जिले की पेटलावाद जनपद पंचायत झकनावदा में कल होगा भागोरिया का हाट जिसके चलते आसपास के ग्रामीण मान्दल की थाप को बनाये रखने के लिए अपनी अपनी टोली के साथ नजर आएंगे इसी के चलते अभी से उसकी तैयारी की जा रही है। हम सब जानते है की झाबुआ जिला एक आदिवासी बहुलक क्षेत्र है। जहा पर बड़ी संख्या मे निवासरत है। उसी के तहत होली का पर्व बहुत हि धूम धाम से मनाया जाता है जैसे हि होली का पर्व आता है। मधुर गीत मान्दल की थाप ओर गेरियों के गीत शुरु व हाट बाजारों मे झूले चक्रियों की मधुर आवाज आने लग जाति है। क्योकि होली के पूर्व हि आठ दिन पहले से जहा जहा हाट बाजार लगता है वहा पर भगोरिया हाट लगाया जाता है जाया पर झूला चकरी लगाकर एक मेले के समान इस पर्व को बड़े हर्ष उल्लास से मनाया जाता है। साथ हि आदिवासी समाज के युवा व बड़े बुजुर्ग सभी एक साथ नजर आते है। साथ हि मांदल के साथ नजर आते है। झाबुआ अलीराजपुर के भगोरिये  मध्यप्रदेश मे प्रसिद्धि प्राप्त हे। जिसके चलते भगरोया पर्व की जहा पर होता है वहा पर दूर दूर से काफी बड़ी संख्या में ग्रामीण जन भगोरिया देखने को आते है। क्योकि हम आपको बता दे की यह सब अपने कार्यो मे इतने व्यस्त होते है की अपना घर परिवार सब छोड़ कर पलायन चले जाते है ओर इस समय अपना सब काम छोड़ कर माता पूजन ओर होली का दहन ओर दशा माता की पूजा अर्चना करने के लिए पुरा परिवार एक साथ होता है। ओर उसी के तहत साल मे एक बार सब मिलकर बड़ी खुशियां मानते है। साथ हि गुड़ी पड़वा का पर्व भी इन्ही के द्वारा मनाया जाता है।  इतना लोक प्रिय तोहर होता है होली का।

कई राजनैतिक दल भी शामिल होते हैं इस भगोरिया पर्व मे। ओर् उनकी हि वैसभूसा मे उनके साथ मांदल की थाप पर थिरकते है। साथ हि प्रशासनिक अधिकारी भी उसी वेशभुसा मे इन लोगो के साथ मिलकर इस पर्व को मानते हुए नजर आते है। क्योकि यह पर्व किसी एक का नही बल्कि सभी का होता है। इसी लिए सभी  मिलजुलकर सहयोग कर मानते हैं। क्योकि जो राजनेता है या कोई अधिकारी है वह भी इसी संस्कृति के साथ बड़ा पला है ओर अपनी संस्कृति ओर परंपरा को कैसे भूल सकता हे। इस लिए सभी के सहयोग से इस पर्व को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।

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